भारत से टूटे चावल भारी मात्रा में खरीद रहा चीन, ये है वजह

भारत सरकार इस साल चावल के निर्यात पर आंशिक प्रतिबंध लगा सकती है, आइए जानते है क्यों? हाल ही मे ग्लोबल फूड मार्केट मे खाद्य सामग्री की कमी आई है और इसका ज्यादा असर चावल की सप्लाई पर हुआ है। खाद्य सामग्री मे आई इस कमी का प्रमुख कारण रूस -यूक्रेन युद्ध है, इस युद्ध की वजह से खाद्य सामग्री, ग्लोबली जिस स्तर पर पहुंचनी चाहिए थी, उस स्तर पर उपलब्ध नही हो पा रही है। इसका काफी बड़ा प्रभाव चीन फूड मार्केट पर पड़ा है।


ये भी पढ़ें:
असम के चावल की विदेशों में भारी मांग, 84 प्रतिशत बढ़ी डिमांड
चीन वो देश है जहां चावल की सालाना खपत 16 करोड़ टन है, लेकिन चीन मे कुल चावल का उत्पादन करीब 14 करोड़ टन होता है। मांग और उत्पादन के बीच के इस गैप को भरने के लिए चीन बाकी का चावल विदेशों से आयात करता है। अब इस बार खरीफ की फसल पर मौसम का विपरीत प्रभाव पड़ने के कारण इसका उत्पादन कम हो पाया है।


ये भी पढ़ें:
हल्के मानसून ने खरीफ की फसलों का खेल बिगाड़ा, बुवाई में पिछड़ गईं फसलें
साथ ही साथ चीन में चावलों का अधिक मात्रा में उपयोग वाइन और नूडल्स बनाने मे होता है। इसके साथ ही चीन मे टूटे चावल खाने का ट्रेंड भी है, जिस वजह से वहां चावल की खपत ज्यादा होती है। यही कारण है कि इस बार चीन, भारत से चावल आयात करने वाले देशों के बीच मे एक प्रमुख खरीदार के रूप मे उभर कर सामने आया है। वैसे चीन भारत से हर साल चावल नहीं खरीदता, लेकिन ग्लोबल मार्केट में चावल की उपलब्धता कम होने की वजह से मजबूरी में चीन को भारत से चावल खरीदने पड़ रहे हैं। अक्सर ग्लोबल मार्केट में टूटे चावल की बिक्री कम होती है, लेकिन जब खाने की कमी हो तो टूटे चावल भी बिक जाते हैं। ऐसा ही कुछ इस बार हुआ है और चीन ने भारी मात्रा में भारत से टूटे चावल खरीदे हैं। अब चूंकि खाद्य सामग्री की कमी वैश्विक स्तर पर आई हुई है। इसलिए इस बात को ध्यान मे रखते हुए और हाल के दिनों में घरेलू सप्लाई मे आई कुछ कमी को देखते हुए भारत सरकार चावल एक्सपोर्ट पर कुछ प्रतिबंध लगा सकती है। गौर करने वाली बात है कि भारत दुनिया का 40 फीसदी चावल का एक्सपोर्ट करता है। ऐसे में अगर चावल के एक्सपोर्ट पर बैन लग गया तो दुनिया में हड़कंप मच सकता है।